हसूमन मेटान्यूमो वायरस के चलते पुरे देश में अलर्ट है. वाराणसी एयरपोर्ट पर विदेशी पर्यटकों के चलते स्कैनिंग हो रही है तो दूसरी तरफ बीएचयू के वैज्ञानिक कहते है की अभी तक के शोध के अनुसार ये पांच साल से कम बच्चों के लिए खास खतरा है. अगर वायरस फैलता है तो फिजिकल डिस्टंसिंग ही सहारा होगी.वाराणसी में हसूमन मेटान्यूमो वायरस के रोकथाम के लिए एयरपोर्ट पर खास निगाह रखी जा रही है. जहां सबसे अधिक विदेशी पर्यटक यही से शहर में दाखिल होते हैं. साथ ही प्रयागराज के लिए भी यही से लोग जा रहे है. इसलिए यहां सबसे ज्यादा एहतियात बरती जा रही है.
HMPV (हसूमन मेटान्यूमोवायरस) कोई नया नहीं है. लेकिन, कोविड़-19 के बाद जिस तरह के हालात पैदा हुए उसे लेकर सतरकता बरतना जरूरी है. ये वायरस आमतौर पर ठंडे मौसम में होता है. भारत में अब तक इसके 8 मामले सामने आ चुके हैं. 5 साल के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है.
ए और ‘बी’ ये दोनों ही वेरिएंट एक समान
HMPV कोई नया वायरस नहीं है. 1991 में यह सबसे पहले आइसोलेट किया गया था. 2001 में नीदरलैंड में पहलीबार इसकी खोज बर्नडेट जी वैन डेन हूगेन ने की थी. ये दो वैरिएंट हैं. ए और ‘बी’ ये दोनों ही वेरिएंट एक समान हैं.
चीन में ये वायरस सबसे पहले पाया गया. मगर इसका कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. पांच साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आ सकते हैं. हर साल 10 से 12 प्रतिशत जो के सामने आते हैं. वो इसी वायरस के कारण आते हैं. वायरस सबसे ज्यादा 1 से 5 साल और 65 साल के ऊपर के व्यक्ति को बीमार कर सकता है.
HMPV गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है
इसके अलावा यह बीमारी काफी गंभीर नहीं है. इस वायरस के लक्षण सांस से जुडी बीमारियों की तरह होते हैं. कुछ मामलों में खासतौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में HMPV ज्यादा गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है. जैसे ब्रोंकोलाइटिस, निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं. संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने पर सांस की बूंदों के जरिए फैलता है. अगर आप इंफेक्टेड एरिया में जाते हैं और उसके संपर्क में आते हैं, जहां वायरस थोड़े समय के लिए जीवित रह सकता है. तो आप संक्रमित हो सकते हैं.
बीएचयू के वैज्ञानिक इस वायरस को लेकर अपनी राय दे चुके उनका साफ तौर पर कहना है की इस वायरस से बचाव के लिए कोरोना वायरस से बचाव के ही प्रोटोकोल फॉलो करने होंगे.