Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत होने वाली है. इस बीच साधुओं की टोली ने डेरा जमाना शुरू कर दिया है. ऐसे में भांती-भांती के साधु-संतों की एक अलग ही दुनिया देखने को मिलने लगी है. यहां पहुंचे हर बाबा की अपने आप में एक अनोखी कहानी है. कोई हाथ योगी, तो कोई घोड़े वाले बाबा, तो कहीं जानवार वाले बाबा के नाम से जाने जा रहे हैं.

इस बीच चाबी वाले बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपने एक हाथ में 20 किलो की लोहे की चाबी लेकर चलते हैं.  इस भारी-भरकम चाबी की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. लोग इन्हें रहस्यमयी चाबी वाले बाबा के नाम से जानते हैं. इसके साथ ही बाबा के पास एक रथ भी है, जिसमें चाबी ही चाबी दिखाई पड़ती हैं. बाबा की हर एक चाबी के पीछे एक कहानी छिपी है. तो आइए क्रैक करते हैं ये रहस्य…

पैदल रथ खींचकर करते हैं देश की यात्रा

चाबी वाले बाबा का असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है. वो उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं. उनकी उम्र 50 वर्ष है. बाबा की सबसे खास बात ये है कि वह पैदल ही अपने रथ को हाथों से खींचकर पूरे देश की यात्रा करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि  बचपन से ही अध्यात्म की ओर लगाव होने लगा था. बाबा अयोध्या से यात्रा कर अब प्रयागराज कुंभ नगरी में पहुंचे हैं. उन्होंने 16 साल की उम्र से ही समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का ठान लिया और घर से निकल गए. हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरपंथी विचारधारा के हैं, इसलिए लोग उन्हें कबीरा बाबा बुलाने लगे.

चाबी से खोलते हैं अहंकार का ताला

कबीरा बाबा ने बाताया कि वह कई साल से अपने साथ एक चाबी लिए हुए हैं. उस चाबी के साथ ही उन्होंने पूरे देश का पैदल ही भ्रमण किया है. उन्होंने अपनी यात्रा और अध्यात्म के बारे में बताया कि लोगों के मन में बसे अहंकार का ताला खोलने के लिए वे अपनी बड़ी सी चाबी का उपयोग करते हैं. वह लोगों के अहंकार को चूर-चूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाते हैं. अब बाबा के पास कई तरह की चाभियां मौजूद हैं. बाबा खुद ही अपने हाथों से चाबी बना लेते हैं. जहां भी जाते हैं, यादगार के तौर पर चाबी बनाकर चलते हैं.

चाबी के पीछे है ये है कहानी

कबीरा बाबा ने अपनी चाबी के बारे में बताते हुए कहा कि इस चाबी में अध्यात्म और जीवन का रहस्य छिपा है, जिसे वह लोगों को बताना चाहते हैं. कबीरा बाबा का कहना है कि इस चाबी का राज जानने में किसी को रुचि नहीं है, क्योंकि इसके लिए किसी के पास वक्त नहीं है. अगर किसी को कुछ बताते भी हैं तो लोग यह कहकर मुंह फेर लेते हैं कि बाबा मेरे पास छुट्टे पैसे नहीं हैं. शायद लोगों को लगता है कि मैं उनसे भीख मांग रहा हूं. फिलहाल, इस कुंभ क्षेत्र में चाबी वाले बाबा जिधर से गुजरते हैं, उधर लोग इनको मुड़कर देखते तो जरूर हैं.

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